राजस्थान के झालावाड़ जिले के पिपलोदी गांव में हाल ही में राजकीय विद्यालय की छत गिरने से जो दर्दनाक हादसा हुआ, उसने पूरे प्रदेश को हिलाकर रख दिया है। यह घटना न केवल एक दुःखद त्रासदी है, बल्कि यह सरकारी स्कूलों की जर्जर, खस्ताहाल और उपेक्षित व्यवस्था की एक डरावनी झलक भी दिखाती है।

जैतारण उपखंड के कई सरकारी विद्यालय भी आज बिना रंगाई-पुताई, टूटती छतों और दरारों वाली दीवारों के साथ किसी अनहोनी का इंतजार करते नजर आ रहे हैं।
👨‍🏫 कई स्कूलों में न तो मजबूत छत है, न ही पर्याप्त कमरे।
☔ मानसून के दौरान टपकती छतें बच्चों की सुरक्षा के लिए खतरा बन जाती हैं।
⚠️ अभी नहीं जागे, तो भविष्य में एक और ‘पिपलोदी’ की खबर जैतारण से आ सकती है।
👉 प्रशासन से अनुरोध है कि जैतारण के सरकारी स्कूलों की तुरंत जांच करवाई जाए।
👉 खंड शिक्षा अधिकारी और जनप्रतिनिधि मिलकर इन इमारतों का भौतिक सत्यापन करें।
👉 बच्चों की सुरक्षा को प्राथमिकता दी जाए — क्योंकि शिक्षा का मंदिर कभी किसी की कब्रगाह नहीं बनना चाहिए।

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